NASA Mars Mission: परमाणु रॉकेट बनाने की तैयारी में नासा, 3 महीने में मंगल तक पहुंच जाएंगे इंसान

Irshad Ansari
5 min readFeb 5, 2021

Priyesh Mishra | Navbharat Times | Updated: 04 Feb 2021, 09:40:05 PM

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा 2035 तक मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजने की तैयारियों में जुटी है। धरती से लगभग 23 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित मंगल तक इंसानों को पहुंचाना नासा के लिए अब भी चुनौती बना हुआ है। इसलिए नासा अब परमाणु शक्ति से चलने वाला रॉकेट बनाने की योजना पर काम करने वाला है।

NASA Mars Mission: परमाणु रॉकेट बनाने की तैयारी में नासा, 3 महीने में मंगल तक पहुंच जाएंगे इंसान

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा 2035 तक मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजने की तैयारियों में जुटी है। धरती से लगभग 23 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित मंगल तक इंसानों को पहुंचाना नासा के लिए अब भी चुनौती बना हुआ है। इसलिए नासा अब परमाणु शक्ति से चलने वाला रॉकेट बनाने की योजना पर काम करने वाला है। यह रॉकेट इंसानों को तीन महीने में ही मंगल पर पहुंचा देगा। अगर ऐसा रॉकेट बन जाता है तो भविष्य के भी अंतरिक्ष मिशन में नासा को बड़ी सफलता मिल सकती है।

अभी मंगल तक पहुंचने में लगते हैं 7 महीने

दरअसल मंगल तक इंसानों को पहुंचाने में नासा के सामने सबसे बड़ी समस्या रॉकेट की आ रही है। क्योंकि, वर्तमान में जितने भी रॉकेट मौजूद हैं वे मंगल तक पहुंचने में कम से कम 7 महीने का समय लेते हैं। अगर इंसानों को इतनी दूरी तक भेजा जाता है तो मंगल तक पहुंचते पहुंचते ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। दूसरी चिंता की बात यह है कि मंगल का वातावरण इंसानों के रहने के अनुकूल नहीं है। वहां का तापमान अंटार्कटिका से भी ज्यादा ठंडा है। ऐसे बेरहम मौसम में कम ऑक्सीजन के साथ पहुंचना खतरनाक हो सकता है।

वर्तमान रॉकेट से मंगल से लौटने में लगेगा 3 साल

नासा के स्पेस टेक्नोलॉजी मिशन डायरेक्ट्रेट की चीफ इंजिनियर जेफ शेही ने कहा कि वर्तमान में संचालित अधिकांश रॉकेट में केमिकल इंजन लगे हुए हैं। ये आपको मंगल ग्रह तक ले जा सकते हैं, लेकिन इस लंबी यात्रा की धरती से टेकऑफ करने और वापस लौटने में कम से कम तीन साल का समय लग सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी अंतरिक्ष में चालक दल को कम से कम समय बिताने के लिए नासा जल्द से जल्द मंगल तक पहुंचना चाहता है। इससे अंतरिक्ष विकिरण के संपर्क में कमी आएगी। जिस कारण रेडिएशन, कैंसर और नर्वस सिस्टम पर भी असर पड़ता है।

तीन महीने में मंगल तक पहुंचने की तैयारी में नासा

इस कारण ही नासा के वैज्ञानिक यात्रा के समय को कम करने के तरीके खोज रहे हैं। सिएटल स्थित कंपनी अल्ट्रा सेफ न्यूक्लियर टेक्नोलॉजीज (USNC-Tech) ने नासा को एक परमाणु थर्मल प्रोपल्शन (NTP) इंजन बनाने का प्रस्ताव दिया है। यह रॉकेट धरती से इंसानों को मंगल ग्रह तक केवल तीन महीने में पहुंचा सकता है। वर्तमान में मंगल पर भेजे जाने वाले मानवरहित अंतरिक्ष यान कम से कम सात महीने का समय लेते हैं। वहीं, इंसानों वाले मिशन को वर्तमान के रॉकेट से मंगल तक पहुंचने में कम से कम नौ महीने लगने की उम्मीद है।

वर्तमान के रॉकेट से कई गुना शक्तिशाली होंगे परमाणु रॉकेट

परमाणु रॉकेट इंजन को बनाने का विचार नया नहीं है। इसकी परिकल्पना सबसे पहले 1940 में की गई थी। लेकिन, तब तकनीकी के अभाव के कारण यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। अब फिर अंतरिक्ष में लंबे समय तक यात्रा करने के लिए परमाणु शक्ति से चलने वारे रॉकेट को एक समाधान के रूप में देखा जा रहा है। USNC-Tech में इंजीनियरिंग के निदेशक माइकल ईड्स ने सीएनएन से कहा कि परमाणु ऊर्जा से चलने वाले रॉकेट आज के समय में इस्तेमाल किए जाने वाले रासायनिक इंजनों की तुलना में अधिक शक्तिशाली और दोगुने कुशल होंगे।

परमाणु रॉकेट इंजन की तकनीकी बनी चुनौती

परमाणु रॉकेट इंजन की निर्माण की तकनीकी काफी जटिल है। इंजन के निर्माण के लिए मुख्य चुनौतियों में से एक यूरेनियम ईंधन है। यह यूरेनियम परमाणु थर्मल इंजन के अंदर चरम तापमान को पैदा करेगा। वहीं, USNC-Tech दावा किा है कि इस समस्या को हल करके एक ईंधन विकसित किया जा सकता है जो 2,700 डिग्री केल्विन (4,400 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक के तापमान में काम कर सकता है। इस ईंधन में सिलिकॉन कार्बाइड होता जो टैंक के कवच में भी सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे इंजन से रेडिएशन बाहर नहीं निकलेगा, जिससे सभी अंतरिक्षयात्री सुरक्षित रहेंगे।

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Web Title : nasa will build nuclear-powered rocket can get astronauts from earth to mars in just three months
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